लो क सं घ र्ष !
  रंगों की होली समाप्त-शांति के पुजारियों की &#
 
 
फ्रांस द्वारा लीबिया में खेली जा रही खून की होली का एक द्रश्य
भारत में बहुसंख्यक आबादी का रंगों का त्योहार होली। होली आपसी भाईचारे समाज में समृद्धि का प्रतीक है। भारतीय जनमानस एक दूसरे के ऊपर रंग गुलाल, अबीर लगा कर आपसी भाईचारे को मजबूत बनाता है। हमारे समाज में यह भी मान्यता है कि इस त्योहार में विरोधियों से भी बैर भाव समाप्त कर लेना चाहिए।
शांति के पुजारियों के महानायक अमेरिका और उसके पिछलग्गू फ्रांस इंग्लैंड ने शांति स्थापित करने के लिये लीबिया में टोमाहॉक मिसाइलें 112 रक्षा ठिकानो पर दागी हैं। वहीँ लीबिया ने फ्रांस के एक लड़ाकू विमान को मार गिराया है लेकिन फ्रांस ने उसका खंडन किया है। अमेरिकन साम्राज्यवादियों ने इसके पूर्व ईराक, अफगानिस्तान सहित पकिस्तान में भी शांति स्थापित कर रहे हैं। पाकिस्तान में ड्रोन हमलों में हजारो लोग मारे जा चुके हैं। शांति स्थापित नहीं हो पा रही है। मिस्र, ट्युनेसिया , बहरीन में अमेरिकन साम्राज्यवादी का पहले से कब्ज़ा है। उस परीक्षेत्र में लीबिया अमेरिकन साम्राज्यवाद का विरोध करता था। लीबिया को सबक सिखाने के लिये इन देशों ने पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत पहले अलकायदा के माध्यम से अशांति फैलवायी। और जब पूर्वी लीबिया पर हथियारबंद विद्रोहियों का कब्ज़ा हो गया। लीबियाई सरकार ने विद्रोहियों से पुन: पूर्वी लीबिया को मुक्त करा लिया तो खिसियाये साम्राज्यवादी मुल्कों ने सैनिक कार्यवाई शुरू कर दी। साम्राज्यवादी हमलों में अब तक 50 लोग मारे जा चुके हैं व्यापक रूप से नुकसान हुआ है। इस युद्ध का मुख्य उद्देश्य लीबिया के तेल पर कब्ज़ा करना है। शांति लोकतंत्र न्याय विश्व बंधुत्व से इन शांति के पुजारियों का कोई लेना देना नहीं है। मानव रक्त से ही इनकी प्यास बुझती है। खून की होली खेलने का कार्य इन देशों का मुख्य शगल रहा है। हमारे देश को भी ब्रिटिश साम्राज्यवाद ने जिस तरह से लूटा है उस इतिहास को पढ़ कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। फ्रांसीसी साम्राज्यवादियों ने भी हमारे देश के कुछ हिस्से को काफी अरसे तक गुलाम बनाये रखा था। शांति के नाम पर खून की होली जारी है। दुनिया का कोई भी मुल्क इस होली को रोकने में समर्थ नहीं है और ही किसी देश की संप्रभुता का कोई मतलब इन देशों की नजर में है। संयुक्त राष्ट्र संघ अपने निर्माण काल से ही इन देशो की कठपुतली रहा है और आज भी है।

सुमन
लो क सं घ र्ष !
 
  Today, there have been 1 visitors (1 hits) on this page! all articles in this website loksangharsha.page.tl are publish in Loksangharsh Patrika  
 
This website was created for free with Own-Free-Website.com. Would you also like to have your own website?
Sign up for free